________________
स्विसिमें आनेवाला अवगाहाना ज० देशोना दोषगाउ उ० तीनगाउ और स्थिति ज० देशोना दोय पल्योपम उ० तीन पल्यापम समझना इति ।
इति चौवीसवा शतकका इग्बारा उद्देशा समाप्त हुवे । .. (१२) पृथ्वीकायाका उद्देशा-पृथ्वीकायाके अन्दर पांच सावर तीन वैकलेन्द्रिय असंज्ञो तीर्यच असंज्ञी मनुष्य. संज्ञी मैच, संज्ञो मनुष्य, दश मुवनपति व्यन्तर ज्योतीषी सौधर्म देवलोक इशान देवलोक एवं १६ स्थानसे आये हुवे जीव पृथ्वीअपमें उत्पन्न हो शक्ते है वहां (पृथ्वीकायमें) स्थिति ज० अन्तर महतं उत्कृष्टी २२००० वर्षकि होती है । ऋद्धिका २० द्वार । बीकाय मरके पृथ्वीकायमें उत्पन्न होते है जिस्की ऋद्धिके २० बार।
(१) उत्पात-पृथ्वीकायासे आके उत्पन्न होते है। (२) परिमाण-एक समयमें १-२-३ यावत् असंख्याते । (३) संहनन-एक छेवट संहनन लेके आता है। (४) अवगाहाना-ज० उ० अंगुलके असं० भाग । (५) संस्थान-एक हुन्डक (चन्द्राकार) बाला (६) लेश्या-च्यार (भव संबन्धी) वाला (७) दृष्टी-एक मिथ्यात्ववाला । (८) ज्ञान-अज्ञान दोयवाला । ज्ञान नहीं होते है। (९) योग-एक कायाका (१०) उपयोग दोनों. सा. म. (११) संज्ञा च्यारों (१२) कषाय च्यारों