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(४) शेष सर्वद्वार संज्ञी तौर्यच पांचेन्द्रिय माफीक समझना । भवापेक्षा ज० दोष उ. माठ भव, कालापेक्षा ज० प्रत्यकमास दश हजार वर्ष उ० च्यार कोडपूर्व, च्यार सागरोपम तक गमना गमन करे जिस्के गमा नौ। ओघसे ओघ' प्रत्यक दश हजार उ० च्यार कोडपूर्व च्यार सा०
मास · वर्ष ओघसे ज०' , , उ० च्यार प्रत्य० ४००००वर्ष ओघसे उ. , , उ० च्यार कोडपूर्व च्यार सा. न०से ओघ , उ० च्यार कोडपूर्व च्यार सा० जिसे ज० ,
, उ० प्र०मा० ४००००वर्ष जसे उ० , , उ० ,, कोडपुर्व च्यार सा. उ० ओघ एक कोड पूर्व एक सा० उ० च्यार कोड पू० च्या० सा० उ० ज. , , उ० च्यार अन्तर ४०००० वर्ष उ० उ० , , उ० , कोड पूर्व च्यार सागरो प्रत्यक गमा पर २० द्वार कि ऋद्धि पूर्ववत् लगा लेना तफावत हे सो बतलाते है ओघ गमा. तीन तो पूर्ववत ही है।
जघन्य गमातीन-४-५-६ नाणन्ता ५
(१) अवगाहाना ज० अंगुलके असंख्यातमें भाग उ० प्रत्यक अंगुलकि ।
(२) ज्ञान-तिन ज्ञान तीन अज्ञान कि भनना। . (३) समुद्घात-पांच कमः सर (४) स्थिति न० उ० प्रत्यक मास कि . (१) अनुबन्ध-म० उ० प्रत्यक मासकों ... .