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श्री देवगुप्तसूरीश्वर सद्गुरुभ्यो नमः
अथश्री
शीघ्र बोध भाग २१ वा
कल्याणपाद पारामं श्रुत गङ्ग हिमाचलम् । विश्व त्रये शितारं च तं वन्दे श्रीज्ञातनन्दनम् ॥१॥
थोकड़ा नम्बर १ सूत्रश्री भगवतीजी शतक २४ वां
(गमाधिकार ) वर्तमान अंग अपेक्षा भगवतीसूत्र महात्ववाला माना जाता है इसी माफीक भगवती सुत्रके इगतालीप्त शतकमें नौवीसवा गमानामका शतक महात्ववाला है। इस चौवीसवा शतकका अधि. कार सामान्य बुद्धिवालों के लिये बडा ही दुर्गम्य है, तद्यपि इस कठिन अधिकारकों थोकड़ारूपमें सरल और इतना सुगमतासे लिखेगे कि पाठकगण स्वल्प परिश्रमद्वारा इस गंभिर रहस्यवाला संबन्धकों सुख पूर्वक समझके अपनी आत्माका कल्याण कर शके। इस गमाधिकारके मौख्य आठ द्वार बतलाया जावेगा। यथा
(१) गमाद्वार (२) ऋद्धिद्वार (३) स्थानद्वार (४) जीवद्वार (५) अगतिस्थानद्वार (६) भवद्वार (७) गमासंख्याहार (८) नाणान्ताद्वार।