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रहित- सरलता से आलोचना करे, उसे एक मासिक प्रायश्चित्त दीया जाता है. और
( २ ) मायासंयुक्त आलोचना करनेपर उसे दोय मासिक प्रायश्चित्त देते है. कारण - एक मास मूल दोष सेवन कीया उसका. और एक मास जो आलोचना करते माया-कपट सेवन कीया, उसकी आलोचना, एवं दो मास.
( ३ ) इसी माफिक दोय मास दोषस्थानक सेवन कर मायारहित आलोचना करनेसे दोय मासका प्रायश्चित्त.
४ ) मायासंयुक्त करनेसे तीन मासका प्रायश्चित्त भावना
पूर्ववत्.
(५) तीन मासवालोंको मायारहित से तीन मास. (६) मायासंयुक्तको च्यार मास.
( ७ ) च्यार मासवालोंको मायारहितसे च्यार मास. (८) मायासंयुक्तको पांच मास.
( ९ ) पांच मांस - मायारहितको पांच मास.
(१०) मायारहितको छे मास. छे माससे अधिक प्रायश्चित्त नहीं है. कारण - आजके साधु साध्वी, वीरप्रभुके शासन में विचरते है, और वीरप्रभु उत्कृष्टसे उत्कृष्ट छे मासकी तपश्चर्या करी है. अगर छे माससे अधिक प्रायश्चित्त स्थान सेवन कीया हो, उसको फिरसे दुसरी दफे दीक्षा ग्रहनका प्रायश्चित्त होता है.
( ११ ),, बहुतवार मासिक प्रायश्चित्त स्थानको सेवन करे. जसे पृथ्वीकी विराधना हुइ, साथमें अप्कायकी विराधना एकबार तथा वारवार भी विराधना हुई, वह एक साथमें आलोच
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