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२६६ (१३) कौतुक कर्म ( दोरा राखडी). (१४) भूतिकर्म, रक्षादिकी पोटली कर देना. . (१५),, प्रश्न, हानि-लाभका प्रश्न पूछे..
(१६ ) अन्यतीर्थी गृहस्थ पूछनेपर ऐसे प्रश्नोंका उत्तर, अर्थात् हानि लाभ बतावे.
(१७) एवं प्रश्न, विद्या, मंत्र, मूत, प्रेतादि निकालनेका प्रश्न पूछे.
(१८) उक्त प्रश्न पूछनेपर आप बतलावे तथा शीखावे. (१९) भूतकाल संबन्धी. (२०) भविष्यकाल संबन्धी. (२१) वर्तमानकाल संबन्धी निमित्त भाषण करे. ३
(२२) लक्षण-हस्तरेखा, पगरेखा, तिल, मसा, लक्षण आदिका शुभाशुभ बतावे.
(२३) स्वप्नके फल प्ररुपे.
(२४) अष्टापद-एक जातकी रमत, जैसे शेत्रंजी आदिका खेलना शीखावे.
(२९) रोहणी देवीको साधन करनेकी विद्या शिखावे. ( २६ ) हरिणगमैषी देवको साधन करनेका मंत्र शिखावे. (२७) अनेक प्रकारकी रससिद्धि, जडीबुट्टी, रसायन बतावे. ( २८ ) लेपजाति-जिससे वशीकरण होता हो.
(२९) दिग्मूढ हुवा अन्यतीर्थी, गृहस्थोंको रहस्ता बतलावे, अर्थात् क्लेशादि कर कितनेक आदमी आगे चले गये हो, और