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२४९ भावार्थ-जितनी दवाइ मिले, उतनी लाके बीमारको देनान मिलनेपर गवेषणा करना. गवेषणा करने पर भी न मिले तो पश्चात्ताप करना. कारण बीमार साधुको यह शंका न हो किसब साधु प्रमाद करते है. मेरे लीये दवाइ लानेका उद्यम भी नहीं करते है.
(४२) ,, प्रथम वर्षाऋतु-श्रावण कृष्णप्रतिपदामे ग्रामानुग्राम विहार करे. ३
( ४३), अपर्युषणको पर्युषण करे. ३ (४४ : पर्युषणको पर्युषण न करे.
भावार्थ-आषाढ चौमासी प्रतिक्रमणसे ५० दिन भाद्रपद शुक्लपंचमीको पर्युषण होता है. पर्युषण प्रतिक्रमण करनेसे ७० दिनोंसे कार्तिक चातुर्मासिक प्रतिक्रमण होता है अगर वर्तमान चतुर्मासमें अधिक मास भी हो, तो उसे काल चूलिका मानना चाहिये।
(४५) ,, पर्युषण ( सांवत्सरिक ) प्रतिक्रमण समय गौके बालों जितने केश ( बाल ) शिरपर रखे. ३
भावार्थ - मुनियोंका सांवत्सरिक प्रतिक्रमण पहला शिरका लोच करना चाहिये।
(४६) ,, पर्युषण-संवत्सरीके दिन इतर स्वल्प बिन्दु मात्र आहार करे. ३
भावार्थ-संवत्सरीके दिन शक्ति सहित साधुषोंको चौवि- . हार उपवास करना चाहिये.
(४७) ,, अन्य तीथीयों तथा अन्य तीथीयोंके गृहस्थोंके साथ पर्युषण करे, करावे, करतेको अच्छा समझे.