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(२५) जैसे सर्व ज्ञानमें केवल ज्ञान प्रधान है इसी माफीक कि प्रतों में ब्रह्म प्रधान है।
(२६) जैसे सर्व क्षेत्रोंमें महविदह क्षेत्र प्रधान विसाल है इसी माफीक सर्व व्रतोंमें ब्रह्म प्रधान है।
(२७) जेसे सर्व साधुवोंमें तीर्थकर भगवान प्रधान है इसी माफोक सर्व ब्रोंमें ब्रह्म प्रधान है। . (२८) जेसे सर्व गोल जातिके पर्वतोंमें कुंडलपर्वत विस्तारचाला प्रधान है इसी माफीक सर्व व्रों में ब्रह्मचार्य व्रत महात्वावाला प्रधान है।
(२९) जेसे वृक्षोंके अन्दर सुदर्शन नामका वृक्ष प्रधान है इसी माफीक सर्व व्रतोंमें ब्रह्म प्रधान है।
(३०) जेसे सर्व जातिके वोंमें नन्दनवन रमणिय प्रधान है इसी माफीक सर्व ब्रतोंमें ब्रह्मचार्य व्रत रमणिय प्रधान है।
(३१) जेसे सर्व ऋद्धियोंमें चक्रवतं कि ऋद्धि प्रधान है इसी माफीक सर्व बोंमें ब्रह्मचार्य व्रत प्रधान है ।
(३२) जेस सर्व जतिका सग्रामीक स्वमें दुबननय नामका वासुदेवका रथ प्रधान है इसी माफीक सर्व व्रतोंमें कर्मरूप दुर्जनोकों पराजय करनेमें ब्रह्मचार्य व्रत प्रधान है। .. यह ३२ औपमा अलंकृत ब्रह्मचार्यव्रत मोह नरेन्द्रकी
शेन्याको पराजय करनेमे महा समर्थ है वास्ते हे भव्य यथाशक्ति ब्रह्म व्रतका माराधन कर अपने मनुष्य जन्मको पवित्र बनायो।
मस्तु । शम् ।