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________________ (३०) (१६) जेसे उध्वं लोकके देवलोकोंमें पांचमा देवलोक विस्तार में महत्ववाला प्रधान है इसी माफीक सर्व व्रतोंमें विस्तारसे महत्ववाला ब्रह्मचर्य व्रत है । (१७) जेसे सर्व समावों में सौधर्मी सभा प्रधान है इसी माफीक सर्व व्रतोंमें ब्रह्मचार्य व्रत प्रधान है । (१८) जेसे सर्व स्थितिमें लवसतमादेवा (सर्वार्थ सिद्ध वैमान वासी देव) प्रधान है इसी माफिक सर्व व्रतोंमें अक्षय स्थितिवाला ब्रह्मचर्य व्रत महात्ववाला प्रधान है । (१९) जेसे सर्व दानोंमें अभयदान महात्ववाला है इसी माफीक सर्व व्रतों में ब्रह्मचार्य व्रत प्रधान है । (२०) जेसे सर्व रंग प्रधान है इसी माफोक सर्व चार्य व्रत प्रधान है । करमची रंग (जले पण जावे नहीं ) व्रतोंमें अप्रवृतन रंगवाला ब्रह्म (२१) जेसे सर्व संस्थानों में समचतुखसंस्थान प्रधान है इसी माफी सर्व व्रतों में ब्रह्मचार्य व्रत प्रधान है । (२२) जेसे सर्व संहनन में बज्रऋषभनाराच संहजन प्रधान है । इसी माफीक सर्व व्रतोंमें ब्रह्मचार्य व्रत महात्ववाला प्रधान है। (२३) जैसे सर्व लेश्यावों में शुक्ल लेश्या प्रधान है इसी माफीक सर्व व्रतों में ब्रह्म० प्रधान है । (२४) जैसे सर्व ध्यानोंमें शुक्ल ध्यान प्रधान है इसी माफोक सर्व व्रतों ब्रह्म• प्रधान है ।
SR No.034234
Book TitleShighra Bodh Part 16 To 20
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherRavatmal Bhabhutmal Shah
Publication Year1922
Total Pages424
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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