SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 328
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ मकानकी आज्ञा भी कोई नहीं देता हो, अर्थात् वह मकानमें देवादिकका भय हो, देवता निवास करता हो, अगर ऐसा मकानमें साधुओंको ठहरना हो, तो उस मकान निवासी देवकी भी आज्ञा लेना, परंतु आज्ञा बिना ठहरना नहीं । अगर कोइ मकान पर प्रथम भिक्षु ( साधु ) उतरे हो, तो उस भितुवोंकी भी आज्ञा लेना चाहिये. जिससे तीसरे व्रतकी रक्षा और लोक व्यवहारका पालन होता है । (३१) अगर कोइ कोट (गढ) के पासमें मकान हो, भीत, खाइ, उद्यान, राजमार्गादि किसी स्थानपरके मकानमें साधुवोंको ठहरना हो तो जहांतक घरका मालिक हो, वहांतक उसकी आज्ञासें ठहरे, नहि तो पूर्व उतरे हुवे मुसाफिरकी भी आज्ञा लेना, परंतु बिना आज्ञा नहीं ठहरना । पूर्ववत्. (३२) जहां पर राजाकी सैनाका निवास हो, तथा सार्थवाहके साथका निवास हो, वहां पर साधु-साध्वी अगर भिक्षाको गया हो, परंतु भिक्षा लेनेके बाद उस रात्रि वहां ठहरना न कल्पै । कारण-राजादिको शंका हो, आधाकर्मी दोषका संभव है, तथा शुभाशुभ होनेसे अप्रतीतिका कारण होता है। ऐसा जानके वहां नहीं ठहरे। अगर कोइ ठहरे तो उसको एक तीर्थंकरोंकी दुसरी राजा और सार्थवाह-इन्ह दोनों की आज्ञाका अतिक्रम दोष लगनेसे गुरु चातुर्मासिक प्रायश्चित होता है।
SR No.034234
Book TitleShighra Bodh Part 16 To 20
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherRavatmal Bhabhutmal Shah
Publication Year1922
Total Pages424
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy