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________________ অথখ। पुफिया सूत्रम्। ( दश अध्ययन) (१) प्रथम अध्ययन । एक समयकी बात है कि श्रमण भगवान वीरप्रभु राजगृह नगरके गुणशील उद्यानमें पधारे। राजा श्रेणिकादि पुरवासी लोक भगवानको वन्दन करनेको गये। वि. द्याधर तथा चार निकायके देव भी भगवानकी अमृतमय देशनाभिलाषी हो वहां पर उपस्थित हुवे थे। भगवान वीरप्रभु उस बारह प्रकारकी परिषदाको विचित्र प्रकारका धर्म सुनाया. श्रोतागण धर्मदेशना श्रवण कर त्याग वैराग्य प्रत्याख्यान आदि यथाशक्ति धारण कर स्वस्वस्थान गमन करते हुवे। उसी समयकी बात है कि च्यार हजार सामानिक देव, सो. लाहजार आत्मरक्षक देव, तीन परिषदाके देवों च्यार महत्तरिक देवांगना सपरिवार अन्य भी चन्द्र वैमानवासी देवता देवीयोंके वृन्दमें बेठा हुवा ज्योतीषीयोंका राजा ज्योतीषीयोंका इन्द्र अपना चंद्रवतंस वैमानकी सौधर्मी सभामें अनेक प्रकारके गीत ग्यान वाजींत्र तथा नाटकादि देव संबन्धी ऋद्धिको भोगव रहा था । ___ उस समय चन्द्र अवधिज्ञानसे इस जम्बुद्वीपके भरतक्षेत्रमें राजगृह नगरके गुणशीलोद्यान में भगवान वीरप्रभुको विराजमान देखके आत्मप्रदेशोंमें बडाही हर्षित हुवा, सिंहासनसे उठके जिस दिशामें भगवान विराजते थे उस दिशामें सात आठ कदम
SR No.034234
Book TitleShighra Bodh Part 16 To 20
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherRavatmal Bhabhutmal Shah
Publication Year1922
Total Pages424
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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