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अनुभवकर महाविदह क्षेत्रमे उत्तम जाति-कुलमे जन्म धारण कर फीर वहांभी केवलीप्ररूपीत धर्म सेवनकर दीक्षा ग्रहनकर केवलज्ञान प्राप्त कर मोक्ष जावेगा इति प्रथम अध्ययन समाप्तं।
नं० कुमारक अध्ययन. माताका नाम. पिताका नाम. दवलोक गये. दीक्षाकाल.
भद्र
'मद्रा
सुभद्र
१ : पद्म कुमार | पद्मावती | काली कुमार | सौधर्म देवलोक | महापद्म ,
महापद्मावती मुकाली ,, इशान
महाकाली,, | सनत्कुमार सुभद्रा कृष्ण ,
माहेन्द्र पद्मभद्र पद्मभद्रा
मुकृष्ण ,, पद्मश्रेन ,, पद्मना महाश्रेण ,, लान्तक पद्मगुल्म ,, पद्मगुल्मा वीरश्रेण ,, महाशुक्र | निलनिगु०,, निलनिगुल्मा रामकृष्ण ,, सहस्त्र | आनन्द ,,
आनन्दा पद्मश्रेणकृ०, प्राणत . , १० | नन्दन , नन्दना महाश्रेणकृ०, अच्युत ,,
यह दशों कुमार श्रेणक राजाके पोते है भगवान वीर प्रभुकी देशना सुन संसारका त्याग कर भगवानके पास दीक्षा ग्रहण कर अन्तिम एकेक मासका अनशन कर देवलोकमे गये है। वहांसे सीधे ही महाविदेह क्षेत्रमें मनुष्यभव कर फीर दीक्षा ग्रहन कर कमरीपुको जीत केवलज्ञान प्राप्त कर मोक्ष जावेगा. इति । इतिश्री कप्पवडिंसीया सूत्र संक्षिप्त सारं समाप्तम् ।
Owor पांच पर्याप्ती अन्तर महुर्तमें बान्धक एदकम युवकावय धारण कर लेना कहा है जहाँ देवपणे उत्पन्न होनेका अधिकार प्रात्रे वहांपर एसाही समझना ।