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________________ १३० अपने धनुष्यपर बांणको चढाके बडे ही जौरसे बांण फेंका किन्तु चेटक राजाका बांण लगा नही परन्तु अपराधि जाणके चेटकराजाने एकही बांण में कालीकुमारको मृत्युके धामपर पहुंचा दिया जब कालीकुमार सेनापति गिर पडा. तब उस रोज संग्राम बन्ध हो गया। भगवान् फरमाते है कि हे गौतम! कालीकुमारने इस संग्रामके अन्दर महान् आरंभ, सारंभ, समारंभ कर अपने अध्यवसायोंको मलीन कर महान् अशुभ कर्म उपार्जन कर काल प्राप्त हो. चोथी पंकप्रभा नरकके अन्दर दश सागरोपमकी स्थितिवाला नैरिया हुवा है । गौतमस्वामिने प्रश्न किया कि हे भगवान्! यह कालीकुमा रका जीव चोथी नरकसे निकल कर कहां जावेगा । भगवानने उत्तर दिया कि हे गौतम! कालीकुमारका जीव नरकसे निकलके महाविदेह क्षेत्र में उत्तम जाति - कुलके अन्दर जन्म धारण करेगा. (कारण अशुभ कर्म बन्धे थे वह नरकके अन्दर भोगव लिया था ) वहांपर अच्छा सत्संग पाके सुनियोंकी उपासना कर आत्मभाव प्राप्त हो, दीक्षा धारण करेगा. महान् तपश्चर्या कर घनघातीयां कर्म क्षय कर केवलज्ञान प्राप्त कर अनेक भव्य जीवोंको उपदेश दे. अपने आयुष्यके अन्तिम श्वासोश्वासका त्याग कर मोक्षमें जावेगा. यह सुन भगवान् गौतमस्वामी प्रभुको वन्दन- नमस्कार कर अपनी ध्यानवृत्तिके अन्दर रमणता करने लगगये । इति निरयावलिका सूत्र प्रथम अध्ययन | (२) दुसरा अध्ययन - सुकालीकुमारका. इन्होंकी माताका नाम सुकालीराणी है. भगवानका पधारणा, सुकालीका पुत्रके लिये
SR No.034234
Book TitleShighra Bodh Part 16 To 20
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherRavatmal Bhabhutmal Shah
Publication Year1922
Total Pages424
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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