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से युद्ध करनेकों तैयार है । चेटक राजाने कहा कि अगर आपकि एसी मरजी हो तो अपनि अपनि राजधानीमें जाके स्व स्व सैना तैयार कर जलदी आजाओ । इतना सुनतेही सब राजा स्वस्थ स्थान गये. वहांपर तीन तीन हजार हस्ती, अश्व, रथ,
और तीन तीन क्रोड पैदल तैयार कर राजा चेटकके पास ओ पहुंचे , राजा चेटक भी अपनी सैना तैयार कर सर्व सतावन हजार हस्ती. सतावन हजार अश्व. सतावन हजार रथ सतावन क्रोड पैदल का दल लेके रवाना हुआ वहभि अपने देशान्त वि. भागमें अपना झंडा रोप पडाव कर दिया। उधर अंग देशान्त विभागमें कोणक राजाका पडाव होगया है। दोनों दलके निशांन ध्वजा पताकाओं लगगइ है । संग्रामकि तैयारी हो रही है
हस्ती वालोंसे हस्तीवाले. अश्ववालोंसे अश्ववाले. रथवालों से रथवाले पैदल सुभटोंसे पैदलवाले. इत्यादि सादृश युगल बनके संग्राम प्रारंभ समय योद्धा पुरुषोंका सिंहनादसे गगन गर्जना कर रहा था अनेक प्रकार के वाजिंत्र वाज रहे थे. कर्म सूराओंका उत्साव संग्रामके अन्दर वढ रहा था. आपसमे शस्त्रोंकि वर्षाद हो रहीथी अनेक लोकोंका शिर पृथ्वीपर गिर रहाथा, रौद्रसे धरतीपर कीच मचरहा था हां हां कार शब्द होरहा था.
कोणक राजाकी तर्फसे सेनापति कालीकुमार नियत कियागया था. इधरकि तर्फसे चेटकराजा सैनाका अग्रेश्वर था दोनों सैमापतियोंका आपसमें संबाद होते चेटक राजाने कहाकि में विनो अपराधिकों नही मारताहु, यह सुन कालीकुमार कोपित हो,
१ चेटक राजाकि सैनाकि रचना शकटके आकारपर रचि गई थी. - २ कोणक राजाकि सैना स्थमुशळ तथा गरुडके आकारपर रची गइ थी.