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________________ १२७ और बहल दोनों सरखा है. परन्तु इन्साफकी बात है कि आधा राज दे दे और हारहस्ती ले ले. एसा कहके दूतको रवाना किया। दूत चम्पानगरी आके कोणकराजाको कह दिया कि सिवाय आधा राजके हारहस्ती और वहलकुमारको नहीं भेजेगा. एसा आपके नानाजी चेटकराजाका मत है । यह सुनके कोणकराजाको बहुत ही गुस्सा हुवा. तब तीसरीवार दूतको बुलायके कहा कि जावो, तुम वैशाला नगरी राजा चेटकके सिंहासन पादपीठको डाबे पगकी ठोकर देखें भालाके अन्दर पोके यह लेख देनेके बाद कह देना कि हे चेटकराजा ! मृत्युकी प्रार्थना करनेको साहसिक क्यो हुवा हैं. क्या तु कोणकराजाको नहीं जानता है अगर या तो तुं हारहस्ती और हलकुमारको कोणकराजाकी सेवा में भेजदे नहीं तो कोणकराजासे संग्राम करने को तैयार हो जाव. इत्यादि समाचार कहना । दूत तीसरी दफे वैशाला नगरी आया. अपनी तर्फसे चेटकराजाको नमस्कार कर फीर अपने मालिक कोणकराजाका सब हुकम सुनाया। दूतका वचन सुनके चेटकराजा गुस्सेके अन्दर आके दूतसे कहा कि जब तक आधा राज कोणक वहलकुमारको न देवेंगा, arine हारहस्ती और वहलकुमार कोणकको कभी नहीं . मीलेगा । दूतका बडा ही तिरस्कार कर नगरकी बारी द्वारा निकाल दिया । दूत चम्पानगरी आके राजा कोणकको सर्व बात निवेदन कर कह दिया कि राजा चेटक कबी भी हारहस्ती नहीं भेजेगा । यह बात सुन कोणकराजा अति कोपित हो काली आदि दश भाइयोंको बुलवायके सर्व वृत्तान्त सुनाया और बेटकराजासे
SR No.034234
Book TitleShighra Bodh Part 16 To 20
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherRavatmal Bhabhutmal Shah
Publication Year1922
Total Pages424
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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