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________________ लाया, परन्तु वहलकुमर कि तर्फसे वह ही उत्तर मीला कि यातो अपने मातापिताके इन्साफ पर कायम रेहे, हारहस्ती मेरे पास रेहने दो, आप अपने राजसे ही संतोष रखो, अगर आपको अपने मातापिताके इन्साफ मंजुर न रखना हो तो आधा राज हमको देदो और हारहस्ती लेलो इत्यादि । राजा कोणक इस बात पर ध्यान नही देता हुवा हारहस्ती लेनेकि ही कोशीष करता रहा। बहलकुमरने अपने दीलमें सोचा कि यह कोणक जब अपने पिताको निवड बन्धन कर पिंजरेमें डालनेमे किंचत् मात्र शरम नहीं रखी तो मेरे पाससे हारहस्ती जबर जस्ती लेले इसमें क्या आश्चर्य है ? क्यों कि राजसत्ता सैन्यादि सब इसके हाथमें है। इस लिये मुझे चाहिये कि कोणककि गेरहाजरीमें मैं अपना अन्तेवर आदि सब जायदाद लेके वैशालानगरीका राजा चेटक जो हमारे नानाजी है उन्होंके पास चला जाउं। कारण चेटकराजा धर्मिष्ट न्यायशील है वह मेरा इन्साफ कर मेरा रक्षण करेगा। अलम् । अवसर पाके पहलकुमर अपने अन्तेवर और हारहस्ती आदि सब सामग्री ले चम्पानगरीसे निकल वैशालानगरी चला गया. वहां जाके अपने नानाजी चेटकराजाको सब हकिकत सुनादि. चेटकराजाने वहलकुमारका न्यायपक्ष जान अपने पास रख लिया। - पीच्छेसे इस वातकी राजा कोणकको खबर हुइ तब बहुत ही गुस्सा किया कि वहलकुमरने मुझे पुच्छा भी नही और वैशाला चला गया उसी बखत एक दूतको बोलाया और कहा कि तुम वैशालानगरी जाओ हमारे नानाजी चेटकराजा प्रत्ये हमारा नमस्कार करो और नानाजीसे कहो कि वहलकुमर कोणकराजाको
SR No.034234
Book TitleShighra Bodh Part 16 To 20
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherRavatmal Bhabhutmal Shah
Publication Year1922
Total Pages424
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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