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________________ १२४ करी परन्तु राजाने तो इस बातपर पूर्ण कान भी नहीं दिया । जब राणीने अपना स्त्रीचरित्रका प्रयोग किया, राजासे कहा कि आप इतना विश्वास रख छोडा है. भाइ भाइ करते है परन्तु आपके भाइका आपकी तर्फ कितना भक्तिभाव है ? मुझे उमेद नहीं है कि आपके मंगानेपर हार-हस्ती भेज देवे. अगर मेरे कहने पर आपका इतबार न हो तो एक दफे मंगवाके देख लिजिये । एसा तूनाके मारा राजा कोणक एक आदमीको वहलकुमारके पास भेजा, उसके साथ संदेशा कहलाया था कि हे लघुभ्रात ! तु जाणता है कि राजमे जो रत्नादिकी प्राप्ति होती है वह सब राजाकी ही होती है, तो तेरे पास जो हारहस्ती है वह मेरेको सुप्रत कर दे, अर्थात् मुझे दे दो। इत्यादि । वह प्रतिहार जाके कोणकराजाका संदेशा वहलकुमारको सुना दिया। __वहलकुमारने नम्रताके साथ अपने वृद्धभ्रात (कोणकराजा) को अर्ज करवाइ कि आप भी श्रेणिकराजाके पुत्र, चेलनाराणीके अंगज हो और मैं भी श्रेणिकराजाके पुत्र-चेलनाराणीके अंगज हूँ और वह हारहस्ती अपने मातापिताकी मोजदगीमें हमको दिया है इसके बदले में आपने राजलक्ष्मीका मेरेको कुच्छ भी विभाग नहीं देते हुवे आप अपने स्वतंत्र राज कर रहे हो। यद्यपि आपके मातापितावोंने किया हुवा विभाग नामंजुर हो तो अबी भी आप मुझे आधा राज दे देवे और हारहस्ती ले लिजिये। प्रतिहारी कोणकराजाके पास आके सर्व वार्ता कह दी. जब राणी पद्मावतीको खबर हुइ, तब एक दो ना और भी मारा कि लो, आपके भाइने आपके हुकमके साथ ही हारहस्ती भेज दिया है इत्यादि। राजा कोणकने दोय तीन दफे अपना प्रतिहारके साथ कह
SR No.034234
Book TitleShighra Bodh Part 16 To 20
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherRavatmal Bhabhutmal Shah
Publication Year1922
Total Pages424
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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