SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 243
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ गन्धहस्ती वहलकुमारकि राणीको शुंडसे पकड जल क्रीडा करता हुवा. कबी अपने शिरपर कबी कुंभस्थलपर कबी पीठपर इत्यादि अनेक प्रकारकि क्रिडा करताथा. एसे बहुतसे दिन निर्गमन हो गये। इस बातकी चम्पानगरीके दोय तीन चार तथा बहुतसे रहस्ते एकत्र होते है वहांपर लोक श्लाघा करने लगे कि राजका मोजमजा सुख साहीबी तो वहलकुमर ही भोगव रहा है कि जिन्होंके पास सीचांनक गन्धहस्ती और अठारा सर वाला दिव्य हार है। एसा सुन राजाकोणकके नही है क्यु कि उसके शिर तो सब राजकि खटपट है इत्यादि लोक प्रवाह चल रहाथा। __नगर निवासी लोगोंकी वह वार्ता कोणकराजाकी राणी पद्मावतिने सुनी, ओरतोंका स्वभावही होता है कि एक दुसरेकी संपत्तिको शान्तदृष्टिसे कभी नहीं देख सक्ती है, तो यहां तो देराणी-जेठाणीका मामला होनेसे देखही केसे सके । पद्मावती राणी हारहस्ती लेने में बड़ी ही आतुरता रखती हुइ. उसी बखत राजा कोणकके पास जाके अच्छी तरह राजाका कान भर दिया कि यह दुनियोंका .अपवाद मुझसे सुना नहीं जाता है, वास्ते आप कृपा कर हारहस्ती मुझे मंगवा दो। राजा कोणक अपनी राणीकी बात सुनके बोला कि हे देवी! इस बातका कुच्छ भी विचार न करो. हारहस्ती मेरे पितामाताकी मोजुदगीमें वहलकुमारको दीया गया है और वह मेरा लघुबन्धव है, तो वह हारहस्ती मेरे पास रहे तो क्या और पहलकुमारके पास रहे तो क्या. अगर मंगाना चाहुंगा तबही मंगा सकुंगा । इत्यादि मधुरतासे उत्तर दिया। दुनियां कहती है कि " वांका पग बाइपदमोंका है" राणी पञ्चावतीको संतोष न हुवा। फीर दोय तीनवार राजासे अर्ज
SR No.034234
Book TitleShighra Bodh Part 16 To 20
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherRavatmal Bhabhutmal Shah
Publication Year1922
Total Pages424
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy