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________________ बालटी डालके नदीसे पाणी मंगवायके बगेचेको पाणी पीलाना शरू कर दीया बगेचेकों पाणी सींचन करनेसे ही इसका नाम तापसोने सींचाणा हस्ती रखाथा। कितनेक कालके बाद हस्ती बच्चा, मदमें आया हुवा, उन्ही तापसोंके आश्रम और बगेचेका भंग कर दीया, तापस क्रोधके मारा राजा श्रेणिक पास जाके कहा कि यह हस्ती आपके राजमे रखने योग्य है राजाने हुकम कर हस्सीकों मंगवायके संकल डाल बन्ध कर दीया उसी रहस्ते तापस निकलते हस्तीको उदेश कर बोला रे पापी ले तेरे कीये हुवे दुष्कृत्यका फल तुजे मीला है जो कि स्वतंत्रतासे रहेनेवाले तुझको आज इस कारागृहमें बन्ध होना पड़ा है यह सुन हस्ती अमर्षके मारे संकलोको तोड जंगल में भाग गया. राजा श्रेणिकको इस बातका बडाही रंज हुवा तब अभयकुमार देवीकि आराधना कर हस्तीके पास भेजी देवी हस्तीको बोध दीया और पुर्वभव व. हलकुमरका संबन्ध बतलाया इतनेमें हस्तीको जातिस्मरण ज्ञान हुषा, देवीके कहनेसे हस्ती अपने आप राजाके वहां आ गया. राजा मी उसको राज अभिशेष कर पट्टधारी हस्ती बना लिया इति । ___ हारकि उत्पत्ति-भगवान् वीरप्रभु एक समय राजगृह: नगर पधारे थे राजा श्रेणिक बडाही आडंबरसे भगवानको चन्दन करनेको गया। ___ सौधर्म इन्द्र एक बखत सम्यकवकि दृढताका व्याख्यान करते हुवे राजा श्रेणिककि तारीफ करी कि कोई देव दानव भि समर्थ नही है कि राजा श्रेणिकको समकितसे झोभित करसके । ___ सर्व परिषदोंके देवोंने यह बात स्वीकार करलीथी. परन्तु होय मिथ्यादृष्टी देवोंने इस पातकों न मानते हुवे अभिमान कर मृत्युलोकमे आने लगे।
SR No.034234
Book TitleShighra Bodh Part 16 To 20
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherRavatmal Bhabhutmal Shah
Publication Year1922
Total Pages424
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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