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________________ कहने लगी कि हे भगवान आप फरमाते हो वह सत्य है मेने नजरोंसे नही देखा है तथापि नजरोसे देखे हुवे कि माफीक सत्य है एसा कह वन्दन नमस्कार कर अपने रथपर बेठके अपने स्थानपर जाने के लिये गमन किया। नोट- अन्तगढ दशांग आठवे वर्गमें इस कारणसे वैरागको प्राप्त हो भगवानके पास दिक्षा ग्रहन कर एकावली आदि तपश्वर्या कर कर्म रिपुको जीत अन्तमें केवलज्ञान प्राप्त कर मोक्ष गइ है एवं दशो राणीयो समझना। भगवानने कालीराणीको उत्तर दीयाथा उस समय गौतमस्वामि भी वहां मोजुद थे. उत्तर सुनके गौतमस्वामिने प्रश्न किया कि हे भगवान । कालीकुमार चेटक राजाके बाणसे संग्राममें मृत्यु धर्मको प्राप्त हुवा है तो एसे संग्राममें मरनेवालोंकि क्या गति होती है अर्थात् कालीकुँमर मरके कौनसे स्थानमें उत्पन्न हुवा होगा? . भगवानने उत्तर दिया कि हे गौतम! कालीकुमार संग्राममें मरके चोथी पंकप्रभा नामकि नरकके हेमाल नामका नरकावासभे दश सागरोपमकि स्थितिवाला नैरियापणे उत्पन्न हुवा है। हे भगवान ! कालीकुमारने कोनसा आरंभ सारंभ समारंभ कोया था. कोनसा भोग संभोगमे गृद्धित, मुञ्छित और कोनसा अशुभ कमौके प्रभावसे चोथी पंकप्रभा नरकके हेमाल नरकावा समें नैरियापणे उत्पन्न हुवा है। उत्तरमें भगवान सविस्तारसे फरमाते है कि हे गौतम! जिस समय राजगृह नगरके अन्दर श्रेणिकराजा राज कर रहा था. श्रेणिकराजाके नन्दा नामकि राणी सुकुमाल सुन्दराकारथी उसी नन्दाराणीके अंगज अभय नामका कुमर था। वह च्यार.
SR No.034234
Book TitleShighra Bodh Part 16 To 20
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherRavatmal Bhabhutmal Shah
Publication Year1922
Total Pages424
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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