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काष्टकी पावडीयों ओर जरग (पुराणे जुते ) कि माफीक था. वहांभी मांस रुधीर रहीत केवल हाड चमसे विंटा हुषाही देखाव देताथा।
(२) धन्ना अनगारके पगकि अंगुलीयों जैसे मुग उडद चोलादि धान्यकि तरूण फलीको तापमें शुकानेपर मीली हुइ होती है इसी माफीक मांस लोही रहीत केवल हाडपर चर्म विंटा हुवा अंगुलीयोंका आकारसा मालुम होता था।
(३) धन्ना मुनिका जांघ (पीडि) जेसे काफनामकि वनस्पति तथा वायस पक्षिके जंघ माफीक तथा कंक या ढोणीये पक्षि विशेप है उसके जंघा माफीक यावत् पूर्वमाफीक मांस लोही रहीत थी।
(४) धन्नामुनिका जानु (गोडा) जेसे कालिपोरें-काकजंध वनस्पतिविशेष अर्थात् बोरकी गुटली तथा एक जातिकी बनस्पतिके गांट माफीक गोडा था यावत् मांस रहित पुर्ववत् ।
(५) धन्नामुनिके उरू (साथल) जेसे प्रियंगु वृक्षकी शाखा, बोरडी वृक्षकी शाखा, संगरी वृक्षकी शाखा, तरुणको छेदके धुपमें शुकानेके माफीक शुष्क थी यावत् मांस लोही रहित ।
(६) धन्ना अनगारके कम्मर जेसे ऊंटका पाँव, जरखका पाँव, भैसका पाँधके माफीक यावत् मंस लोही रहित।
(७) धन्नामुनिका उदर जेसे भाजन-सुकी हुइ चर्मकी दीवडी, रोटी पकानेकी केलडी, लकडेकी कठीतरी इसी माफीक यावत् मंस रक्त रहित ।
(८)धनामुनिकी पांसलीयों जेसे वांसका करंडीया, वांसकी टोपली, वांसके पासे, वांसका सुंडला यावत् मंस रक्तरहित थे।
(९) धन्नामुनिके पृष्टविभाग जेसे वांसकी कोठी, पाषाणके गोलोंकी श्रेणि इत्यादि मंस रक्त रहित ।