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(३) हे गौतम उक्त मनुष्य माता पिताकी सेवा करने वाला काल करके वाणमित्र देवतोंमें चौदा हजार वर्षोकी स्थितिवाला देवता होता है पुर्ववत परलोकका आराधी नहीं होता है ।
(८) हे भगवान! ग्राम नगर यावत सन्निवेसके अन्दर एकेक स्त्रियों होती है वह मोटे घर गजा महाराज सैठ सेनापति आदिके अन्तेःवर महल प्रसाद तथा घरोंके अन्दर रेहने वाली जिन्होके पति प्रदेश गया हो तथा परलोक (मृत्यु) गया हो वह बाल विधवा हो अथवा पति लग्न करके छोड़ दि हों इत्यादि कामाभिलापो स्त्रियां अपने माता पिता भाई सुसरादिके रक्षण (बंधोबस्त ) से तथा जतिकुलको मर्यादा से कहा पर भी जा नहीं शक्ती है।
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तथा अच्छे वस्त्रभूषण काजल टीकी पुष्पमालादिका उपभोग करना बंध कर दिया है और दूध दही घृत शकर गुल तेल मांस मदिरा आदि काम वृद्धक पदार्थों को छोड दिया है और स्नान मजन तेल उपटणादि करना भी छोड़ दिया है इन्होंमें मेल पशेना आदिको सहन करती है तथा अल्प इच्छावाली है अल्प भारंभ परिग्रहवाली है अपने सज्जन के केहने में चलनेवाली है विनामन ब्रह्मचार्य पालनेवाली है वह स्त्रियों अपने आचार विचारका पालन करती हुई आयुष्य पुणेकर कहा जाती है ।
( उ हे गौतम उक्त स्त्रियों विनामन ब्रह्मचार्य व्रतको पालन करती हुईं अकाम निर्जरा करके बाणमित्र देवतोंके अंदर ६४००० वर्षों की स्थिति वाले देवभव में उत्पन्न होते है पूर्ववत परन्तु परलोक में आराधी नहीं होते है ।