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________________ (६) प्रश्न हे भवतारक । इस घौर संसारके अन्दर प्राणी जो ग्राम नगर यावत् संनिवेस तक १६ नाम पूर्ववत् समझना वहांपर कितनेक लोक कारागृह-केदखानामें पडा हूवा काष्टके खोडामें जिन्होंका पावडारा हूवा है हाथोंमें चाखडीयों पेराइ है पगोंमें लोहा कि वेडी डाली है भाकसीमें डाला हो हास्त पग नाक नयनादि अंगोपांग जिन्होंका छेदा हो भनेक प्रकारसे मरणन्त कष्ट देता हो, शरीरका खंड खंड करते हैं ग णोमें पील देते हो, हस्तीके पग और सिंहको पुच्छके बांदके मारे, शुली देके मारे, तथा संयम व्रतसे भ्रष्ट होंके मरे, पांचों इन्द्रि यके वप्त होके मरे । वाल तप तथा तपका निदान कर मरे । मायादि शल्य सहित मरे । पर्वतसे गिरके मरे । वृक्षके लटकके, अन्नपाणी न मिलने से मरे । विष खाके मरे, शस्त्रसे मरे, ग्रीदपीठमें प्रवेश. होके मरे इत्यादि बाल मरण यावत् अर्तध्यान करता हुआ मरे हे भगवान एसा जीव अकाम मरण भरके कहापर जावे । . (उ) हे गौतम बाणमित्र देवतावोंमें बारह हजार वर्षोकी स्थितिवाला देवता होते है परन्तु परलोकका आराधी नहीं होता है। (७) है भगवान ! इस लौकमें केई मनुष्य प्रकृतिके भद्रीक प्रकृतिके विनयवान स्वभावसे ही क्रोधमानमायालोभ उपशम =पतला पडा हो स्वभावसे ही कोमलता मधुरता प्राप्तो हुई हो। स्वभावे विषयसे विरक्त, अपने माता पिताकी सुश्रुषा करनेवाला माता पिताकी आज्ञा पालन करनेवाला स्वभावसे अल्पारम्भी अल्पपरिग्रहसे अपनी आजीवका चलानेवाला होता है वह अपना: आयुष्य पूर्णकर कहा जाते है ?
SR No.034234
Book TitleShighra Bodh Part 16 To 20
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherRavatmal Bhabhutmal Shah
Publication Year1922
Total Pages424
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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