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________________ ७९ आदिके लिये नगरके बहार न जावे कारण वह अर्जुन माली यक्ष इष्टसे सात जीवोंकी प्रतिदिन घात करता है वास्ते बहार जानेवालोंके शरीरको और जीवको नुकशान होगा वास्ते कोइ भी बहार मत जावो । राजगृह नगर के अन्दर सुदर्शन नामका श्रेष्ठी वसता था । वह बडा ही धनाढ्य और श्रावक, जीवाजीवका अच्छा ज्ञाता था । अपना आत्माका कल्याणके रस्ते वरत रहा था । उसी समय भगवान वीरप्रभु अपने शिष्यरत्नोंके परिवा raisest for noते हुवे राजगृह नगरके गुणशीलोबान समवसरण किया । अर्जुन मालीके भयके मारे बहुत लोग अपने स्थानपर ही भगवानको वन्दन कर आनन्दको प्राप्त हो गये । परन्तु सुदर्शन श्रेष्ठी यह बात सुनी कि आज भगवान् बगेचेमें पधारे है । वन्दनको जानेके लिये मातापिताको पुछा तब मातापिताने उत्तर दीया कि हे लालजी ! राजगृह नगरके बहार अर्जुनमाली सदैव सात जीवोंको मारता है । वास्ते वहां जानेमें तेरे शरीरको बादा होगा वास्ते सब लोगोंकी माफीक नुं भी यहां ही रह कर भगवानको वन्दन कर ले। वह भगवान् सर्वज्ञ है तेरी वन्दना स्वीकार करेंगे। सुदर्शन श्रेष्ठीने उत्तर दीया कि हे माता ! आज पवित्र दिन हे कि वीरप्रभु यहां पधारे है तो मैं यहां रहके वन्दन कैसे करूं ? आपकी आज्ञा हो तो मैं तो वहांही जायके भगवानका दर्शन कर वन्दन करूं। जब पुत्रका बहुत आग्रह देखा तब मातापिता ने कहा कि जैसे तुमको सुख होवे वैसे करो । सुदर्शन श्रेष्ठी स्नानमज्जन कर शुद्ध वस्त्र पहेरके पैदल ही भगवानको वन्दन करनेको चला, जहां मोगरपाणी यक्षका मन्दिर
SR No.034234
Book TitleShighra Bodh Part 16 To 20
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherRavatmal Bhabhutmal Shah
Publication Year1922
Total Pages424
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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