SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 195
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ पद्मावती साध्वि इर्यासमिति यावत् गुप्त ब्रह्मचर्य पालती क्षणाजी के पास एकादशांग सूत्राभ्यास किया, फीर चोथ छठ अठमादि विस्तरण प्रकारसे तपस्या कर पूर्ण वीश वर्ष दीक्षा पाल एक मासका अनशन कर, अन्तिम केवलज्ञान प्राप्त कर, अपना आत्मा कार्यको सिद्ध कर मोक्षमें विराजमान हो गइ । इति प्रथमाध्ययन समाप्तं । इसी माफीक ( २ ) गोरीराणी, (३) गंधारीराणी, (४) लक्षमणा, (५) सुसीमा, (६) जांबवती, (७) सत्यभामा (८) रूखमणी. यह आठों कृष्णमहाराजकी अग्रमहिषी पट्टराणीयो परमवल्लभ थी । वह नेमिनाथ भगवानके पास दीक्षा ले केवलज्ञान प्राप्त कर मोक्षमें गई । ( ९ ) मूलश्री, (१०) मूलदत्ता, यह दोय जांबवतीका पुत्र सांबुकुमारकी राणीयां थी । कृष्णमहाराज दीक्षामहोत्सव कर परमेश्वर के पास दीक्षा दीराइ । पद्माaarat माफी केवलज्ञान प्राप्त कर लिया । इति पंचमवर्गके दशाध्ययन समाप्तं । पंचमवर्ग समाप्तं । 1 (६) छट्टा वर्गके सोलाध्ययन. प्रथम अध्ययन - राजगृह नगरके बहार गुणशीला नामका उधान था वहां पर राजा श्रेणिक न्यायसंपन्न अनेक राजगुणोंसे संयुक्त था जिन्होंके चलणा नामकी पटराणी थी । राजतंत्र चलानेमें बडा ही कुशल, शाम, दाम, भेद, दंडके ज्ञाता और बुद्धिनिधान एसा अभयकुमार नामका मंत्री था। उसी नगर में बडा ही धनान्य और लोगोमें प्रतिष्ठित एसा माकार नामका गाथा -पति निवास करता था । उसी समय भगवान वीरप्रभु राजगृह नगरके गुणशील
SR No.034234
Book TitleShighra Bodh Part 16 To 20
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherRavatmal Bhabhutmal Shah
Publication Year1922
Total Pages424
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy