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________________ ७४ . कृष्ण महाराज करेगा दीक्षाका महोत्सव भी बडा आडम्बर से कृष्ण महाराज करेगा । द्वारका विनाश होगी वास्ते दीक्षा जल्दी लो । पसी पुकार कर मेरी आज्ञा मुझे सुप्रत करो । आज्ञाकारी कृष्ण महाराजका हुकमको सविनय शिर चढाके द्वारकामें उदूकर आज्ञा सुप्रत कर दी। इधर पद्मावती राणी भगवानकी देशना सुन हर्ष - संतोष हो बोली कि हे भगवान्! आपका वचनमें मुझे श्रद्धा प्रतित आइ श्रीकृष्णको पुछके में आपके पास दीक्षा द्रडंगा | भगवानने कहा " जहासुखं. "" पद्मावती भगवानको वन्दन कर अपने स्थानपर आइ, अपने पति श्रीकृष्णको पुछा कि आपकी आज्ञा हो तो में भगवानकी पास दीक्षा ग्रहन करूं "जहासुखं" कृष्णमहाराजने पद्मावती राणी का दीक्षाका बडा भारी महोत्सव किया। हजार पुरुषसे उठाने योग्य सेबीकामें बैठाके बडा वरघोडाके साथ भगवान्के पास जाके वन्दन कर श्रीकृष्ण बोलता हुवा कि हे भगवान् ! यह पद्मावती राणी मेरे बहुतही इष्ट यावत् परमवल्लभा थी, परन्तु आपकी देशना सुन दीक्षा लेना चाहती है। हे भगवान् ! में यह शिष्यणीरूपी भिक्षा देता हूं आप स्वीकार करावे । पद्मावती राणी वस्त्राभूषण उतार, शिरलोच कर भगवानके पास आके बोली हे भगवान् ! इस संसारके अन्दर अलीता-पलीता लग रहा है आप मुझे दीक्षा दे मेरा कल्यान करे। तब भगवानने स्वयं पद्मावती राणीको दीक्षा दे यक्षणाजी साध्विकी शिष्याणी बनाके सुप्रत कर दी फीर यक्षणाजीने पद्मावतीको दीक्षा- शिक्षा दी ।
SR No.034234
Book TitleShighra Bodh Part 16 To 20
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherRavatmal Bhabhutmal Shah
Publication Year1922
Total Pages424
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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