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________________ बाणु (१९२) बोलोको दायचो जिन्होंकी क्रोडों सोनयोंकी किंमत है एसी राजलीलामें दम्पति देवतावोंकी माफीक कामभोग भोगवने लगे। तांके यह भी मालम नहीं पड़ता था कि वर्ष, मास, तीथी और धार कोनसा है। ____एक समयकी बात है कि जिन्होंका धर्मचक्र आकाशमें चल रहा है। भामंडल अज्ञान अन्धकारको हटाके ज्ञानोद्योत कर रहा है। धर्मध्वज नभमें ल्हेर कर रही है सूवर्णकमल आगे चल रहे है। इन्द्र और करोडों देवता जिन्होंके चरणकमलकी सेवा कर रहे है एसे बावीसमा तीर्थकर नेमिनाथ भगवान अठारे सहस्र मुनि और चालीश सहस्र साध्वीयोंके परिवारसे भूमंडलको पवित्र करते हुवे द्वारकानगरीके नन्दनवनोद्यानको पवित्र करते हुवे। वनपालकने यह खबर श्री कृष्णनरेश्वरको दी कि है भूनाथ ! जिन्हींके दर्शनोंकी आप अभिलाषा करते थे वह तीर्थकर आज नन्दनवनमें पधार गये है यह सुनके श्रीखंडभोक्ता कृष्ण वासुदेवने साढेबारह लक्ष द्रव्य खुशीका दिया और आप सिंहासनसे उठके वहांपर ही भगवानको नमोत्थुणं करके कहा कि हे भगवान् ! आप सर्वज्ञ हो मेरी वन्दना स्वीकार करावें। श्रीकृष्ण कोटवालको बोलायके नगरी श्रृंगारनेका हुकम दिया और सेनापतिको बोलाके च्यार प्रकारकी सैना तैयार करनेकी आज्ञा देके आप स्नानमजन करनेको मजनघरमें प्रवेश करते हुवे । इधर द्वारकानगरीके दोय तीन च्यार तथा बहुत गस्ते एकत्र होते है। वहां जनसमुह आपस आपसमें वार्तालाप कर रहे थे कि अहो देवानुप्रिय! श्री अरिहंत भगवानके नाम गोत्र श्रवण
SR No.034234
Book TitleShighra Bodh Part 16 To 20
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherRavatmal Bhabhutmal Shah
Publication Year1922
Total Pages424
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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