SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 169
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ तीन मासके बाद राणीको अच्छे अच्छे दोहले उत्पन्न हुवे जिस्को राजाने आनन्दसे पुर्ण किये। नव मास साडेसात रात्रि पुर्ण होनेसे अच्छे ग्रह नक्षत्र योग आदिमे राणीसे पुत्रका जन्म हुवा है। राजाको खबर होनेसे केदीयोंको छोड दीया है माप तोल बढा दीया था और नगरमें बडा ही महोत्सव कीया था। ___ पहले दिन सुतीका कार्य किया, तीसरे दिन चन्द्रसूर्यका दर्शन, छठे दिन रात्रिजागरण, इग्यारमे दिन असूचिकर्म दूर किया, बारहवे दिन विस्तरण प्रकारके अशांन पान खादिम स्वादिम निपजाके अपने कुटुम्ब-न्याति आदिको आमन्त्रण कर भोजनादि करवाके उस राजपुत्रका नाम "गौतमकुमार" दीया। पंचधावोंसे वृद्धि पामतो बालक्रिडा करते हुवे जब आठ वर्षका राजकुमार हो गया। तब विद्याभ्यासके लिये कलाचार्यके वहां भेजा और कलाचार्यको बहुतसा द्रव्य दिया। कलाचार्य भी राजकुमारको आठ वर्ष तक अभ्यास कराके जो पुरुषोंकी ७२. कला होती है उन्होमें प्रविन बनाके राजाको सुप्रत कर दिया। गजाने कुमारका अभ्यास और प्राप्त हुइ १६ वर्षकी युधकावस्था देख विचार किया कि अब कुमारका विवाह करना चाहिये, जब राजाने पेस्तर आठ सुन्दर प्रासाद कुमराणीयोंके लिये और आठोंके बिचमें एक मनोहर महेल कुमारके लिये बनवाके आठ बडे राजाओंकी कन्याओं जो कि जोबन, लावण्यता, चातुर्यता, वर्ण, वय तथा ६४ कलामें प्रविण, साक्षात सुरसुन्दरीबोंके माफीक जिन्होंका रूप है एसी आठ राजकन्याओंके साथ मौतमकुमारका विवाह कर दिया। आठ कन्याओंके पिताने दात (हायजो) कितनो दियो जिस्का विवरण शास्त्रकारोंने बडा ही विस्तारसे किया है (देखो भगवतीसूत्र महाबलाधिकार) एकसो
SR No.034234
Book TitleShighra Bodh Part 16 To 20
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherRavatmal Bhabhutmal Shah
Publication Year1922
Total Pages424
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy