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(८) विलेपन-अगर कुंकुंम चन्दनका विलेपन रखा था। (९) पुष्पकी जातिमें शुद्ध पद्म और मालतिके पुष्पोंकी माला। (१०) आभरण-कानोंके कुंडल ओर नामांकित मुद्रिका रखीथी) (११) धूप-अगर तगगदि सुगन्ध धूप रखा था । (१२) पेज-घृतमें तलीया हुवा चावल पुवा । (१३) भोजन-घृत पुरी और खांड खाजा रखा था। (१४) ओदन-कलम जातिके शाली चावल रखा था। (१५) सूप-दालमें मूंग. उडदकी दाल रखी थी। (१६) घृतमें शरदऋतुका घृत अर्थात् सवेरे निकाला हुवा।
(१७) शाक, शाकमै बथुवाकी भाजीका तथा मंडुकी वनस्पतिका शाक रखा था।
(१.८) मधुर फलमें एक वली फल पालंग फल रखा था। (१९) जेमण, जिमणविधि द्रव्य विशेष रखा था। (२०) पाणीकी जातिमें एक आकाशका पाणी, टांकादिका
(२१) मुखवासमें इलायची लवंग कपुर जावंतरी जायफळ यह पांच वस्तु तंबाल में रखी थी ! सर्व आयुष्य में एवं २१ बोलोके द्रव्य रखे थे।
(८) आठवां व्रतम अनथदंडका त्याग किया था यथा-स्वार्थ विना आतध्यान करनका त्याग । प्रमादके वश हो, घृत, तेल, दूध, दही, पाणी, आदिका भाजन खुल्ला रख देना, औरभी प्रमादाचरणका त्याग । हिंसाकारी शस्त्र एकत्र करनेका त्याग । पापकारी उपदेश देने का त्याग यह च्यार प्रकारसे अनर्थदंड सेवनकरनेका त्याग।
यह आठ व्रतोंका पग्मिाण करनेपर भगवान महावीर