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________________ एक नगर था । उस नगरकं बाहिरी भागमें अनेक जातिके वृक्ष, पुष्प और लताओंसे अति शोभनीय दुतीपलास नामका उद्यानं (बगीचा ) था। और वहां अनेक शत्रुओंका अपनी भुजाओंके बलसे पराजय करके प्रजाको न्याय युक्त पालन करता हुवा जय. शत्रु नामका राजा उस नगरमें राज्य करता था। और वहां आनंद नामका एक गाथापति रहता था। जिसको सिवानंदा नामकी भार्या थी वह बडा ही धनाढय और नीती पूर्वक प्रवृत्ति करके ज्यायोपार्जित द्रव्य और धन धान्य करके युक्त था। जिसके घर चार करोड सोनया धरतीमें गडे हुयेथे । चार करोड मोनयाका गहना आदि ग्रह सामग्री थी। ओर चार करोड सोनेये वाणिज्य व्यापारमें लगे हुवे थे । और दश हजार गायोंका एक वर्ग होता है ऐसे चार वर्ग याने ४०००० गायोंथी। इसके सिवाय अनेक प्रकारकी सामग्री करके समृद्ध और राजा, शेठ, सेनापती आदिको बड़ा माननीय और प्रशंसनीय. गुंज और रहस्यकी बातोंमें नेक सलाहका देनेवाला, व्यापारीयोंमें अग्रेसर था। हमेशा आनंद चित्तसे अपनी प्राणप्रिया सुशीला सिवानंदाके साथ उचित भोग-विलास व. ऐश्वर्य सुखोंको भोगवता हुवा रहता था । उस नगरके बाहिरी भागमें एक कोलाक नामका सन्नीवेश (मोहल्ला) था। वहांपर आनन्द गाथापतीके मजन संबंधी लोक रहते थे। वेभी बडे ही धनाढय थे। एक समय भगवान त्रैलोक्य पूजनीय वीर प्रभु अपने शिज्यवर्ग-परिवार सहित पृथ्वी मंडलको पवित्र करते हुवे, वाणीयग्राम नगरके दुतीपलास नामके उद्यान में पधारे। . यह खबर नगरम होते ही जहां दो, तीन, चार या बहुतसे. रस्ते एकत्रित होते हैं। ऐसे स्थानोंपर वहुतसे लोक आपसमें स.
SR No.034234
Book TitleShighra Bodh Part 16 To 20
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherRavatmal Bhabhutmal Shah
Publication Year1922
Total Pages424
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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