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गुणोंमें मुग्ध हो ये पुष्प आपके आगे रखनेकी उत्कट. इच्छा इस दासको हुई है.
मेरे हृदयमंदिरके देव? आपने अति प्राचीन श्रीरत्नप्रभसूरीश्वर स्थापीत उपकेश पट्टनस्थ ( ओशीयांमें ) महावीर प्रभुके मंदिरके जीर्णोद्धारमें अपूर्व सहाय कर जैनबालाश्रम स्थापीत कर जैनागमोंका संग्रहीत ज्ञानभंडार कर मरूभूमीमें अलभ्यलाभ कायम कर जैननातिकी सेवा कर अपूर्व नाम कर गए. इन कारणोंसे लालायीत हो ये आगमपुष्प आपके सन्मुख रखू तो मेरी कोई अधीकम नहीं है. ___भव्योहारक ! इस दासपर आपकी असीम कृपा हुई है इससे यह दास आपका कभी उपकार नहीं भूल सकता. मुझे आपने मिय्याजालमेंसे छूडाया है, सन्मार्ग बताया है, ढूंढकोंके व्यामोहसे दृष्टि हटा कर ज्ञानदान दिया है, साध्वाचारमें स्थिर किया है. यह सब आपका ही प्रताप है. इस अहसानको मानकर इन बारे सूत्रोंका हिन्दी अनुवादरूपी पुष्पोंको आपकी अनुपस्थितिमें समर्पण करता हूँ. इसे सूक्ष्म ज्ञानद्वारा स्वीकार करीएगा. यही हार्दिक प्रार्थना है. किमधिकम्.
आपश्रीके चरणकमलोंका दास
मुनि ज्ञानसुन्दर.