________________
निश्री ज्ञानसुन्दरजी
पूज्यपाद श्रीमान् सर
माजकेकरकमलोमें
आभिनन्दनपत्रम्.
शान्त्यादि गुणगणालंकृत पूज्यपाद प्रातःस्मरणीय मुनि श्री श्री १००८ श्री श्री ज्ञानसुन्दरजी महाराजसाहिब ! आपश्री बडे ही उपकारी और ज्ञानदान प्रदान करनेमें बडे ही उदारवृत्तिको धारण कर आपश्रीकी प्रशंसनीय व्याख्यान शैली द्वारा भव्यजीवोंका कल्याण करते हुवे हमारा सद्भाग्य और हमारी चिरकालकी अभिलाषा पूर्ण करनेके लिये आपश्रीका शुभागमन इस फलोधी नगरमें हुवा, जिसके वजरिये फलोधी नगरकी जैन समाजको बडा भारी लाभ हुवा है. बहुतसे लोग आपश्रीकी प्रभावशाली देशनामृतका पानसे सद्बोधको प्राप्त कर पठन-पाठन, शास्त्रश्रवण, पूजा, प्रभावना, सामायिक, प्रतिक्रमण, पौषधादि, त्याग, वैराग और अपूर्व ज्ञान-ध्यान करते हुवे आपश्रीके मुखार्विदसे श्रीमद् श्राचारांगादि ३७ आगम और १४ प्रकरण श्रवण कर अपना आत्माको पवित्र बनाया यह आपश्रीके पधारनेका ही फल है.