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(७७) . (२) एवं सातवीं नरकके आकाशान्त और सातवीं नरकके तृण वायु । . (३) एवं सेतवीं नरक का तृणवायु और सातवीं नरकका घनवायु। : (१) एवं सातबीं नरकका धनवायु और सातवीं नरकका धनोदडि। : (५) एवं सातवीं नरकका घनोदद्धि और सातवीं नरकका पृथ्वी पिंड।
(६) एवं सातवीं नरकके पृथ्वीपिंड और छठी नरकका बाकाशान्त ।
(१०) एवं तृणवायु, घनवायु, घनोदद्धि, पृथ्वीडि पाचोंबोल।
(१५) पांचवीं नरकका भी पांचों बोळ इसी माफो। . .. .. (२०) चौथी नरक के पांचों बोली भी इसी माफीक । (२५) तीनी , " " (३०) दुनी , , , (३५) पहेली ,
" एवं लोकान्त और द्विपान्त जम्बुद्धिपादि असंख्याते और समुद्र लवणादि असंख्याते एवं भरतादि सर्व क्षेत्र सर्व अलावा बोकान्त साथे संयोग कर देना तथा नरकादि २४ दंडक षटूद्रव्य छैलेश्या आठकर्म तीनद्रीष्टी च्यारदर्शन पांचज्ञान तीनअज्ञान,
चारसंज्ञा, तीनयोग दोयउपयोग सर्वद्रव्य, सर्वप्रदेश, सर्व पर्याय । प्रश्नोत्तर सर्व पूर्वकि माफीक करना अब चर्म प्रश्नके
(4) हे भगवान । लोकान्त पहला और काल पीछे हैं !