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( ३० ) है और दूसरेकी ५०० धनुष्यसे अंगुलके असंख्यातमें भागन्यून हैं, तो असंख्यात् भागहीना, यह दूसरा भांगा हुवा । एकनारकी के अवगाहना ७॥ धनुष्य ६ अंगुल है। और दूसरेकी ५०० धनुष्य हैं तो संख्यातगुणवृद्धि, संख्यातगुणहानी, यह तीसरा भांगा हुवा और एक नारकीकी अवगाहना ५०० धनुष्य हैं और दूसरेकी ४९९ धनुष्य हैं तो संख्यातभागवृद्धि, संख्यातभागहानी यह चौथा भांगा हुआ । इसे चौठाणबलिया भी कहते हैं ।
स्थिति--चौठाणबलिया जैसे एक नारकीकी स्थिति १०००० वर्षकी हैं और दूसरेकी ३३सागरोपम हैं तो असंख्यात गुणाधिक, असंख्यातगुणहीन यह पहिला भांगा, और एककी ३३ सागर० दूसरेकी ३३ सागरसे अन्तरमुहूर्त न्यून, यह असं. ख्यातभाग अधिक और असंख्यातभागहीन दूसरा भांगा, और एक नारकीकी १ सागर० दूसरेकी ३३ सागर, यह संख्यात गुणाधिक और संख्यातगुणहानी तीसरा भांगा हुवा, और एककी ३२ सागर० दूसरेकी २९ सागर. यह संख्यातभाग अधिक संख्यातभागहीन चौथा भांगा हुआ, जहां तीनका अंक हो वहां पहिला भांगा न्यून समझना ।
वर्णादि २० बोल लिखा है वहां वर्ण ५, गंध २, रस ५, स्पर्श ८, एवं २० बोल । उपयोग ९ लिखा है वहाँ ३ ज्ञान, ३ अज्ञान, ३ दर्शन एवं ९* तारतम्यताका कोष्टक है उसमें जो छठाण बलीया (षट् गुणहानी-वृद्धि ) हैं सो यह हानी वृद्धि वर्णादि