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है और वह कठीयाडा भी निराप्त हुवा बेठा है उन्होसे पुच्छा तो सव घृतांत कहा तब सर्व कठीयाडे कोपित होके बोले हे मुढ ? हे तुच्छ ? यह तुमने क्या कीया इत्यादि तीस्कार कीया बाद मे वह सर्व कठीयाडे लकडी तत्त्वके जानकार ठीक क्रिया कर अग्निको प्रगट कर भोजनादिसे सुखी हुवे । उन्ही प्रथम कंठीयाडेके माफीके हे मुंढ प्रदेशी, हे तुच्छ प्रदेशी, तत्त्वसे अज्ञात है प्रदेशी तु भी कंठीयाडेकी माफीक करता है।
हे भगवान् यह विस्तारवाली परिषदके अन्दर मेरा अपमान करना क्या आपके लिये योग्य है ?
हे प्रदेशी आप जानते है कि परिषद कितने प्रकारकी होती है ? ____ हां भगबन मैं जानता हु कि परिषदा च्यार प्रकारकी होती है यथा (१) क्षत्रीयोंकी परिषदा (२) गाथापतियोंकी परिषदा (३) ब्राह्मणोंकी परिषदा (४) ऋषीयोंकी परिषदा।।
हे प्रदेशी आप जानते हो कि इन्हीं च्यार प्रकारके परिषदाकी आतातना करनेवालोंको क्या दंड दीया जाता है ? .
हां भगवन् मैं जानता हु कि आसातना करनेवालोंको दंड
(१) क्षत्रीयों के परीषदाकी आसातना करनेवालोंको शुली पासी केद आदिका दंड दीया जाता है।
(२) गाथापतियोंके परिषदाकी आसातना करनेसे लकडी लाटो हस्त चपेटादिका दंड दिया जाता है।
(१) ब्राह्मणों के परिषदाकि आसातना करनेसे अकोष वचन मादिसे तिरस्कार किया जाता है।