________________ 146 आया है उन्ही श्रमको दुर करनेके लिये इस समय मनुष्य जन्मादि अच्छी सामग्री मीली है वास्ते श्रीसर्वज्ञ प्रणित् परमोत्तम धर्मका आराधन कर पुद्गलोकों जलाजली देके अपना निज स्थानको स्वीकार करना चाहिये / // सेवेभंते सेवंभंते तमेव सच्चम् // थोकडा नं. 16 (संख्यातादि 21 बोल) शास्त्रकारोंने संख्याते असंख्याते और अनन्तेका 21 भेद कर बतलाये है जिस्मे संख्यातेके तीन भेद है (1) जघन्य संख्याते (2) मध्यम संख्याते (3) उत्कृष्ट संख्याते / जघन्य संख्याते दोय रूपकों केहते है मध्यम संख्याते तीन च्यार पांच छे सात यावत् उत्कृष्ट संख्यातेमें एक रूप न्युन हो / उत्कृष्ट संख्यातेके लिये च्यार पालोंका द्रष्टान्त कर बतलाते है। ... पाला च्यार प्रकारके है (1) शीलाक (२)प्रतिशीलाक (३),महाशीलाक (4) अनवस्थित / प्रत्येक पाला एक लव जोजनका लम्बा चोडा तीन लव-शोला हजार दोय सो सजाबीश जोजन तीन गाउ एकसो अटाविश धनुष्य साहातेर