________________ 148 मदतसे तीनपल्योपम तक के स्थिति स्थानको पूर्ववत् जन्ममरण कर पुरण कर दे उन्हीको भावापेक्षा बादर पुद्गलपरावर्तन केहेते है और पूर्वोक्त स्थिति स्थानोंकों क्रमासर 1-2-3 यावत् चरमान्त समयतक जन्ममरणसे स्पर्श कर सम्पुरण स्थिति स्थानपुरण करे उन्हीको भावापेक्षासूक्ष्मपुद्गलपरावर्तन केहते है ग्रन्थान्तर वर्ण गन्धरस स्पर्श अगुरुलघुपर्या इन्ही पुद्गलोंकों जन्ममरणद्वारे अस्पर्शको स्पर्श करे ( पूर्ववत् ) उन्हीकों भावापेक्षावादर पुद्गलपरावर्त्तन और क्रमासर पुद्गलोंकों स्पर्श करे उन्हीकों भावापेक्षा सूक्ष्मपुद्गलपरावर्तन केहेते है. द्रव्य क्षेत्र काल भाव इन्ही च्यारों प्रकार पुद्गलपरावर्तन के बादरकों अनन्ताकाल लगता है और जो बादरकों काल लगता है उन्हीसे भी सूक्ष्मको अनन्तगुणा काल लगता है (विस्तार देखो भगवतीजीके पुद्गलपरावर्तनका थोकडासे ). प्रत्येक संसारी जीव भूतकालमें द्रव्यक्षेत्रकालभावसे अनन्ते अनन्ते पुद्गलपरावर्तन कर आये है। . एक दफे सम्यक्त्व प्राप्ती हो जाते है तो फीर वह संसारमें रहे तो देशोना अर्द्ध पुद्गलसे ज्यादा नहीं रहेता है इस लिये भव्यात्मावोंकों इस वैरागमय थोकडेपर आवश्य ध्यान देना चाहिये कारन वीतरागके धर्मवीनो अपना जीव भी इसी आरापर संसारमें अनन्ते पुद्गलपरावर्तन कर