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________________ ७८ चुलहेमवन्तपर्वतका पछद्रहके पश्चिम तर्फसे निकली सिंधुप्रभाकुंडमें होके पूर्ववत् १४००० नदीयोंका परिवारसे पश्चिमके लवणसमुद्रमें परन्तु वहां तमसप्रभागुफाके निचासे तथा कुंडका नाम सिंधुकुंड तथा सिंधुदेवीका भुवन समझना एवं दोनों नदीयोंका परिवार २८००० नदीयों है। वह पर्वतपर निकलती आदा जोजनकि उंडी और ६। जोजनकी विस्तारवाली थी पीछे क्रमसर वढते वढते जहां लवणसमुद्रमें मीली है वहांपर पांच गाउकी उढी और ६२'। जो विस्तारवाली हुइ श्री. ___ चुलहेमवन्तपर्वतके पद्मद्रहके उत्तरके तोरणसे रोहीता नामकी नदी नीकलके रोहीतप्रभासनामा कुंडमें पडती है यह नदी हेमवय युगलक्षेत्रमें गइ है अधिकार गंगानदीके माफीक परन्तु नीकलती एक गाउकी उढी १२॥ जोजनका विस्तारवाली है तथा रोहीतप्रभासकुंडका विस्तार दुगुण १२० जोजनका समझना जहां लवणसमुद्र पासे १० गाउकी उढी १२५ जोजन विस्तारवाली है इसी माफीक महाहेमवन्तपर्वतपर महा पद्मद्रहसे रोहीतंसानदी हेमवय युगलक्षेत्रमें आइ है परिमाण सर्व रोहीता० माफीक इन्ही दोनों नदीयोंके २८००० नदीयोंका परिवार समझना । एवं ५६००० महाहेमवन्तपर्वतका महापद्मद्रहका उत्तरका तोरणसे हरिक्रन्तानदी हरिवास युगलक्षेत्रमें गइ है वह निकलतों २
SR No.034233
Book TitleShighra Bodh Part 11 To 15
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherRatna Prabhakar Gyan Pushpmala
Publication Year1933
Total Pages456
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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