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बजरत्नोंका खीला है मणिरत्नका आलम्बन (हाथ पकडनेका) पागोतीयेंके उपर प्रत्यक प्रत्यक तोरण है वह तोरण अनेक मणि मोक्ताफलहार आदि अनेक भूषण तथा चित्र कर सुन्दर है उन्ही गंगाप्रभासकुंडके मध्यभागमें एक गंगाद्विपनामका द्विपा है । वह आठ जोजन लम्बा पहला है दो कोश पाणिसे उंचा है। सर्व बज्र रत्नमय अच्छो सुन्दर है। उन्ही द्विपका मध्यभाग पांच प्रकारके मणिसे मृदु स्पर्शवाला है उन्हीके मध्यभागमें गंगादेवीका एक भुवन है वह एक कोषका लम्बो आदा कोशका पहला देशोना एक कोशका उंचा है अनेक स्थांभापुतलीयों मौक्ताफलकी मालावों यावत् श्रीदेवीना भुवन माफीक मनोहर है वहां गंगादेवी सपरिवार पूर्व किये हुवे सुकृतके फल भोगवती हूइ विचरे है कुंडका या द्विपका और देवीका नाम सास्वता है अगर वह देवी चवतो दुसरी देवी उत्पन्न हूवे परन्तु नाम तो वहां ही गंगादेवी रहेता है। ___ गंगाप्रभासकुंडका दक्षिणके दरवाजेसें गंगानदी निकली हूइ उत्तर भरतक्षेत्रसे अन्य (छोटी) ७००० नदीयोंको साथ लेती हुइ वैताड्यपर्वतकी खंडप्रभागुफाके निचेसे दक्षिणभरतमें आती हूइ वहांसे ७००० नदीयों अर्थात् सर्व १४००० नदीयोंको साथमे लेके जम्बुद्विपकी जगतिको भेदती हूइ पूर्वका लवणसमुद्रमें जा-मीली है इसी माफीक सिंधुनामा नदी भी