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तोरण ध्वज आदि चित्रोर्से सुन्दर है उन्ही भुवनके मध्य भागमें एक मणिपीट चौतरा है ५०० धनुष लम्बा २५० धनुष चोडा उन्ही चौतरा उपर एक देवशय्या है वह वर्णन करनेयोग है यावत् वहां पर श्रीदेवी अपने देवदेवी के साथ पूर्वउपार्जित शुभ फलोकों भोगवती हूइ आनन्दमें रेहती है। यह पद्मद्रहके बाहार एक पद्मवेदिका और एक वनखंड कर वीटा हुवा है शेषाधिकार नदीद्वार में लिखेंगे इसी माफीक सीखरीपर्वतपर पुंडरिकद्रह भी समझना परन्तु उन्हीके देवी लक्ष्मिदेवीका भुवन या कमल है इसी माफीक देवकूरु उत्तरकूरु युगल क्षेत्रो में १० द्रहका भी वर्णन समझना परन्तु उन्ही द्रहो के बाहार वेदिका दो दो है कारण उन्ही द्रहों में सीता और सीतोदानदी वेदिकाक भेदके हमें आति है और वेदिकाकों भेदके द्रहसें निकलती है वास्ते वेदिका दो दो है शेष अधिकार पद्मद्रह माफीक समझना । १२ ।
(१३) महापद्मद्रह - महा हेमवन्तपर्वत के उपर मध्यभागमें २००० जो० लम्बा और १००० जो० चोडा दश जो० उढा महापद्म नामका द्रह है उन्होंपर हूँ नामा देवीका कमल तथा भुवन है परन्तु कमलका मान दुगुणा समझना इसी माफीक रूपिपर्वतपर महापुंडरिकनामा द्रह है परन्तु उन्हीपर बुद्धिदेवीका कमल और भुवन हूँ देवी माफीक समझना । १४ ।