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(३) सुमानसवन-नन्दनवनके तलासे ६२५०० जोजन उर्ध्व जावे तब सुमानस नामका वन आवे । वह पांचसो जोजन के विस्तारवाला मेरूपर्वतको चौतर्फ वींट रखा है वेदीकावन खंड च्यार जिनमन्दिर १६ वावी शकेन्द्र इशानेन्द्रका ४ प्रासाद पूर्ववत् समझना यावत् देवतादेवी आते है. . (४) पंडकवन-सुमानसवनसे ३६००० जोजन उर्ध्व
जावे तब मरूपर्वतके शिखर उपर पंडकवन आता है ४६४ जो० चक्रवाल चुडी आकार मेरूपर्वतकी चुलका (१२ जोजन) को चौतर्फ वीटरखा है । वेदीकाक्न खंड च्यारजिनमन्दिर १६ वावी शकेन्द्र इशानेन्द्रका च्यार प्रासाद पूर्ववत् समझना । पंडकवनके मध्यभागमें मेरुचुलका है वह ४० जोजनकी उंची है मूलमें १२ मध्यमें ८ उपरसे ४ जोजन विस्तारवाली है साधिक तीनगुणी परद्धि । सर्व वैखडीय रत्नमय है। एक वेदिका वनखंडसे वींटी हुइ है । उपरका तलो मणिजडित है मध्यभागमें एक सिद्धायतन एक गाउका लम्बा आदा गाउका चोडा देशोना गाउका उंचा अनेक स्थाभकर शोभनीक है मध्य मणिपीट देवच्छदा और पद्मासन जिनप्रतिमावों यावत् धूपकुडचा आदि। देवतादेवी वहांपर आते है या लब्धिधरमुनि भी जाते है त्रिलोक्य पूजनीक तीर्थकरोंकी सेवाभक्ति करते है.
पंडकवनमें च्यार दिशावोंमें च्यार अभिशेष शीलावों