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द्धद्विपमें ७२ चन्द्र ७२ सूर्य, एवं मनुष्यक्षेत्रमें १३२ चन्द्र १३२ सूर्य । आगे चन्द्र सूर्यकि संख्या अम्नाय-जिस द्विप या समुद्रका प्रश्न करे उन्हीके पीच्छेका द्विपमें जितना चन्द्र हो उन्हीकों तीनगुणा कर शेष पिच्छलेको मेमल करदेना, जेम घातकीखण्डद्विपमें १२ चन्द्र है उन्हीकों तीनगुणा करनामे ३६ और पिच्छले जंबुद्विपका २ लवणसमुद्रका ४ एवं ६ को ३६ के साथ मीलादेनासे ४२ चन्द्र कालोदद्धिसमुद्र में हुवे ४२ को तीन गुणकर १२६ पिच्छला २-४-१२ एवं १८ मीलानेसे १४४ चन्द्र पुष्करद्विपमें हवा जिम्में प्रादा मनुष्य लोकमें होनामे ७२ गीना गया है इसी माफीक मव स्थानपर भावना रखने इति.
(१६ ) परिवारद्वार-एक चन्द्र या सूर्य के २ नक्षत्र ८८ ग्रह ६६६७५ क्रोडाकोड ताराका परिवार है शंका नारोंकी संख्याका क्षेत्रमान करनेमे इस लक्ष जोजनका क्षेत्रमें इतना नाग समावम हो नहीं शक्ता है ? इसके लिये पुर्वाचायाने कोडाकोडीको एक संज्ञारूपम मानी मालम होते है या किसी आचायाने नारोंका बैमानको उत्सदांगुलसे भी माना है नत्य कंवलीगम्य । इसी माफीक सब चन्द्र सर्व मया के भि समझना। न क्षत्रग्रहदवाका नाम बडेजातीपी चक्रसे देखों
(१७. इन्द्रद्वार-असंख्याता चंद्र सूर्य है वह सर्व इन्द्र है परन्तु क्षेत्र कि अपेक्षा एक चन्द्र इन्द्र दुसरा सूर्य इन्द्र है.