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(२) वासाद्वार-जोतीषी देवोंका तीरच्छालोकमें असंख्याता वैमान है वह वैमान संभूमिसे ७६० जोजन उर्ध्व जावे तब तारोंका वैमान आवे उन्ही तारोंके वैमानसे १० जोजन उर्घ जावे तब सूर्यका वैमान आवे अर्थात् संभूमिसे ८०० जोजन उर्ध्व जावे तब सूर्यका वैमान आता है. संभूमिसे ८८० जोजन उर्ध्व जावे अर्थात् सूर्य वैमानसे ८० जोजन उर्ध्व जावे तब चन्द्र बैमान आवे चन्द्रवमानसे ४ जोजन और संभूमिसे ८८४ जोजन उर्ध्व जावे तब नक्षत्रोंका वैमान आवे वहासे ४ जो० और संभूमिसे ८८८ जो० उर्ध्व जावे तब बुध नामा ग्रहका वैमान आवे वहासे ३ जो० संभूमिसे ८६१ जो शुक्र ग्रहका वैमान आवे, वहासे ३ जोजन ओर संभूमिसे ८६४ जो० बृहस्पतिग्रहका वैमान आवे, वहसे ३ जो० ओर संभूमिसे ८६७ मंगलग्रहका वैमान आवे, वहासे ३ जोजन और संभूमिसे ६०० जोजन उर्ध्व जावे तब शनिश्चर ग्रहका वैमान आवे अर्थात् ७६० जोजनसे ६०० जोजन बिचमें ११० जोजनका जाडपणे ओर ४५ लक्ष जोजनका विस्तारमें चर जोतीषी है. जोतीषी तारा | सूर्य चन्द्र नक्षत्र बुध शुक्र वृह | मंग शनि संभूमिसे |७६०८००८८०८८४८८८८६१/८६४८६७६००
जिस्मे तारोंके वैमान ११० जोजनमें सर्व स्थानपर है।