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नक सर्व जोतीपी स्थिर है इन्हीका परिवार विगरह अन्दरके जोतीषीयों माफीक समझना. __अढाइद्वीपके अन्दर जो जोतीषी है वह चर-भ्रमण करनेवाले है और भ्रमण करनेमें ही कुशी मानते है उन्हीका विस्तारके लिये जोतीपी चक्रका थोकडा चन्द्रप्रज्ञाप्ती और सूर्यप्रज्ञाप्तीसें लिखेंगे परन्तु मामान्यतासे यहांपर ३१ द्वारमें जोतीपीयोंका थोकडा लिखा जाता है कि साधारण मनुष्यभि इन्हीका लाभ उठा सके. (१) नामद्वार ( २) गतिद्वार (२२) देवीद्वार (२) वासाद्वार (१३) तापक्षेत्रद्वार (२३) गतिद्वार (३) राजधानी (१४) अन्तर ,, (२४) ऋद्धिद्वार (४) सभा (१५) संख्या ., (२५) वेक्रय ,, (५) वर्णद्वार (१६) परिवार ,, (२६) अवधि ,, (६) वस्त्रद्वार (१७) इन्द्र , (२७) परिचारणाद्वार (७) चन्हद्वार (१८) सामानीकद्वार (२८) सिद्ध ., (८) वैमान पहूल (१६) आत्मरक्षक,, (२६) भव , (६) वैमान जाडपणा (२०) परिपदा ,. (३०) अल्पावहूत ., १०) वैमान वहान (२१) अनिकां ,, (३१) उत्पन्न । (११) मांडलाद्वार
(१) नामद्वार-चन्द्र, सूर्य, ग्रह, नक्षत्र, और तारा.