________________
राजधानी तीरच्छा लोकके द्वीप समुद्र में है यथा चमरेन्द्रकी राजधानी इस जम्बुद्वीपके मेरुपर्वतसे दक्षिणकी तर्फ असंख्यात द्वीप समुद्र चला जाने पर एक अरुणवर द्वीप पाता उन्हीमें १२००० जोजन जाने पर सूचक उत्पात पर्वन आवे वह पर्वन १७२१ जो० उंचा है ४३० जो० १ गाउ० धरतीमें है १०२२ मूल विस्तार ७२३ मध्य में ४२४ उपर विस्तारवालो है। वनखण्ड वेदीकासे सुशोभीत है उन्ही पर्वतके उपर एक मनोहर देवप्रासाद है उन्हीके अन्दर एक देव योग्य शय्या है देवता मृत्युलोकमें आने जाने के समय वहांपर ठेरते है। उन्ही पर्वतमे ६३५५५५०००० जोजन आगे चले जावे वहांपर एक दादग
आता है उन्हीके अन्दर ४०००० जोजन जावे वहांपर चमरेन्द्रकि चमरचंचा राजधानी आती है वह राजधानी १ लक्ष जोजन विस्तारवाली है ३१६२२७ । ३ । १२८ । १३ साधिक परद्धि वह कोट १५० जो० उंचा है मूलमें ५० जो० मध्यमें २५ जो० उपरसे १२॥ जो० उन्ही कोट उपर कोशीषा है एक गाउ विषम आदा गाउका उंचा है अच्छा शोभनिक है एकेक दिशीमें पांचसो पांचसो दरवाजा है वह २५० जो० उंचा १२५ पहला सर्व रत्नमय है राजधानीके मध्यभागमें १६०००० जो० विस्तारवाला एक गोल चौतरा है उन्हीके उपर ३४१ प्रासाद है मध्य प्रासाद २५० जो० का उंचा १२५ पहला है अनेक स्थंभ पुतली मौतफलकी मालासे