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चीलकुल खराव शस्त्रादि बनाते है या वज्रमुख कीडा बनाके दुसरे नारकीके शरीरमें प्रवेश होता है फीर बड़ा रूप बनाके शरीरके खण्ड खण्ड कर देते है.
(२१) अल्पाबहुत्वद्धार. (१) स्तोक सातमी नरकके नैरिया. (२) छठी नरकके नैरिया असं० गुणा. (३) पांचमी नरकके नैरिया अमं० गुणा (४) चोथी नरकके नरिया असं० गुणा (५) तीजी नरकके नैरिया असं० गुणा (६) दुसरी नरकके नैरिया असं० गुणा (७) पेदली नरकके नैरिया अमं० गुणा
इन्हीके सिवाय और भी द्वार है परन्तु वह लघु दंडकादि थोकडोंमें आजानेके सरवसे यह नहीं लीखा है. इति.
सेवं भंते सेवं भंते तमेव सच्चम् ,