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(७) पात्थडेद्वार ( = ) अन्तराद्वार ( ६ ) पात्थडे र अन्तरी : (१०) घणोदद्धि (११) घणवायु० (१२) तृणवायु ० १३) आकाशद्वार (१४) नरक र अन्तरो० (१५) नरकावासा ४६) अलोकान्तरो (१७) बलीयाहार (१८) क्षेत्रवेदना ० (१०) देववेदना० (२०) वैक्रयद्वार (२१) अल्पचहूतद्वार
(१) नामद्वार - गमा वनशा शीला अजना रीठा मघा माधवती.
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(२) गोत्रद्वार - रत्नप्रभा शार्कर वालुकाप्रभा पंक प्रभा धूमप्रभा तमप्रभा और तमतमाप्रभा ।
(३) जाडपणो -- प्रत्यक नरक एकेक राजाकी जाडी है। (४) पालपणो - पहेली नरक एक राजविस्तारवाली हैं. दुसरी २॥ राज, तीसरी च्यार राज, चोथी पांच राज पांचमी के राज, छठी साडाळे राज, सातमी नरक सात राज के विस्तार में है परन्तु नारकिके नैरिया एक राजके विस्तार में है उन्हीको सनाली कही जाती है ।
(५) पृथ्वीपएडद्वार - प्रत्यक नारकी असंख्यात असंख्यात जोजनकि है परन्तु पृथ्वीपएड पेहली नरकका १८०००० दुसरीका १३२००० तीसरीका १२८००० चोथीका १२०००: पांचमीका ११८००० छठीका ११६००० सातमीका १०८००० योजनका है.