________________
उर्ध्वलोकके सर्व धनराज ६३।। परतर २५४ सूचि १०१६ खण्डराज ४०६४ तीरच्छो लोक एक राजविस्तार वाला है जिस्में असंख्यातद्वीप समुद्र है परन्तु १८०० जोजनका जाडपणामें होनासे किसी राजकी संख्या नहीं है.
सम्पुरण लोकके घनराजादि संख्पा. (१) धनराज २३६ (३) मूचिराज ३२१ (२) परतरगज ६५६ (४) खण्डगज १५२६६
सेवं भंते सेवं भंते तमेव सच्चम् ।
इति.
थोकडा नम्बर २
बहूतसूत्र संग्रहकर.
(नारकीके २१ द्वार) (१) नामद्वार (२) गोत्रद्वार (३) जाडपणा (४) पाइलपणा. (५) पृथ्वीपण्ड (६) करंडद्वार