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रत्नप्रभा
arn
नाम. | जाडी. | पहूंली. : धनराज. | परतर. | चि. खण्ड.
राज ४ राज १६ राज ६४ राज शार्करप्रभा
२५ ,,
४०० " वालुप्रभा
१०२४ ,, पंकप्रभा
४०० १६००, धूमप्रभा
५७६ २३०४, तमप्रभा
| ४२, १६६, ६७६ ,, २७०४, तमतमा०
,,| ४६ । १६६, ७८४ , अधोलोकमें सर्व धनराज १७५ परतरराज ७०२ सूचिराज २८०८ खण्डराज ११२३२ होते है.
संभूमितलासे १।। राजउर्ध्व जावे तब पेहला दुसरा देवलोक आता है जिस्मे श्रा दो राजउर्ध्व जावे तब एक राजविस्तार है वहांसे आदो राजउर्ध्व जाव तब १॥राजविस्तार है वहांसे पाव राज जावे तब २ राजविस्तार वहांसे पाव राज जावे तब २॥ राजविस्तार है वहां पर सुधर्म इशान देवलोक है. .
सौधर्म इशान देवलोकसे उर्ध्व एक राज जाते है वहांपर तीजा चांथा देवलोक आते है जिस्में आदा राज जावे तब तीन राजविस्तार है वहांसे आदा राज जावे
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