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(४) रस द्वार(१) कृष्ण • कडवा तुंबा जेसा कटुक रस है (२) निल सुठ पीपर जे ता तीखा रस है (३) कापोत • कचा अम्र जेसा खाटा रस है (४) तेजो पका हुने आम्र या कविट जेसा रस है। (५) पद्म ० उतम जातके वारूणिमद जेसा रस है (६) शुक्ल शकर रखी जुर पकी द्राख जेसा रस है ।
(१) स्पर्शद्वार-कृष्ण० निल० कापोत इन्ही तीनों लेश्याका स्पर्श करबोलकी धार शाकवनाम्पतिसे भी अधिक स्पर्श है और तेजो० पद्म शुक्ल इन्ही तीनों लेश्याके स्पर्श कोमल जेसेमखन बुरवनास्पति और सरसबके पुष्पोंसे अधिक कोमल है।
(६) शुद्ध (७) प्रशस्थ (८) संक्लिष्ट कृष्ण : निल. कापोत यह तीनों लेश्या अशुद्ध--अप्रशस्थ और सक्लिष्ट है और तेजो० पद्म० शुक्ल यह तीनों लेश्या शुद्ध प्रशस्थ-असंक्लिष्ट है।
(९) शीतोष्णा-कृष्ण ० निल० कापोत यह तीनों लेश्या शीत और रूक्ष है और तेजो पद्म शुक्ल उष्ण और स्निग्ध है।
(१०) गतिद्वार-कृष्णादि तीन लेश्या दुर्गति ले जानेवाली है और तेजो पद्म शुक्ल यह तीनों लेश्या सुगति लेजाने. वाली है।
(११) परिणामहार-आयुप्यबन्ध समय जो लेश्या . जाति है उन्हीको परिणाम कहते है वह आयुप्यका बन्ध आयु. प्यके ३-९-२७-८१ या २४३ मे भागमें होते है अगर न हो तो आयुष्यका अन्तम अन्तर महूर्त में तो आवश्य होता है।