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( ९८ ) (१५) चंकगति-जिसके चार भेद हैं अर्थात् बको गति करे. बंको ऋजु गति करे एवं ४
(१६) पंकगति-जैसे कर्दममें गति करें पाणीमें गति करे, __(१७) बंधणविमोयण गति-जैसे अग्र अवडी बिजोरा बीला कवीट इत्यादि पक जाने पर भूमि पर पड़ते है यह पन्त राले गति करते हैं उन्हींको बन्धण विमोयण गति कहते हैं. ___ कण्ठस्थ करनेके लिये स्वल्प लिखा है विशेप विस्तार गुरु मुखसे समझो. इति. .... सेवं भंते सेवं भंते तमेव सचम् ।
जाजतनारामनारायनाजाना इति शीघ्रबोध ११ वां भाग समाप्त.